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Dhirendra Panchal

Abstract

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Dhirendra Panchal

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बनल रहा बरियार मोदी जी

बनल रहा बरियार मोदी जी

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छूट गइल कुल यार संघाती, घरवां के परिपाटी।

दिन से भइली हीन गाँव क गरियावेले माटी।

धय धय लोला दाबेले सरकार मोदी जी।

राम करें तूं बनल रहा बरियार मोदी जी।


चिक्कन चिक्कन बात तू खाली टीबी से बतियावा।

समय के मारल लइकन के कह पुलिस से लतियावा।

बस भाषण में बांटा तू रोजगार मोदी जी।

राम करें तूं बनल रहा बरियार मोदी जी।


माई बहिन क गारि देवे खातिर हव परशासन।

सुन सुन के बरदास करिले जइसे कुस के डासन।

पढ़ लिख के भी ताकि मुँह तोहार मोदी जी।

राम करें तूं बनल रहा बरियार मोदी जी।


सांझ सबेरे ढिबरी लेखा भभकी अउर बुताईं। 

गांव के लोगवा पुछेलें कब कपरा मऊर बन्हाई।

अर्थहीन हो गइली हम बेकार मोदी जी।

राम करें तूं बनल रहा बरियार मोदी जी।


तीन लोक क बिजयी रावण बनबासी से हारल।

बानर के बानर जाने क गलती लंका जारल।

जिन बुझा तू संसद के ससुरार मोदी जी।

राम करें तूं बनल रहा बरियार मोदी जी।

संविधान क हम्मे कवन असार मोदी जी।

राम करें तूं बनल रहा बरियार मोदी जी।


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