बंदिशों के दायरे में
बंदिशों के दायरे में
ख्वाहिशों की डोर लंबी है बहुत,
और मन में पल रहे अरमान
चाहते हैं बंदिशों को तोड़
दूर जाने को..
क्यों घबराए हम बंदिशों से,
हौंसलों के सामने क्या
बंदिशें किसी को बांध पाएगी,
या रोक पायेंगी??
तोड़ देंगे बंदिशें जब,
तब हमारी जिंदगी में
लौट आएंगे सुनहरे पल!!
