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Luxmi Maurya

Others

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Luxmi Maurya

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"सर्द रात"

"सर्द रात"

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बर्फ की सिलवटों में लिपटी हुई ये रातें ,

मुझे अजनबी निगाहों से देखती हैं,

दूधिया चांदनी में नहाए ये दरख़्त ,

मुझसे मेरा पता पूछते हैं,

पेड़ की शाखाओं से दबे पांव उतर कर

एक खामोश उदासी पसर जाती है,

कमरे में दर्पण में मेरा ही अक्स

मुझे अनचिन्हा सा लगता है,

सर्द रात तन्हाइयों का आलम

और बस कुछ अधूरी ख्वाहिशों की परछाइयां।


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