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बंधु तेरी याद

बंधु तेरी याद

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कुछ मिलते हैं बुरे दिनों में

तमाम जिंदगी अच्छा रखने के लिए

कुछ ऐसे भी तो हैं

जो लेते हैं अपने सर हर इल्ज़ाम

कुछ बनाते हैं रेत के घरोंदे साथ में

और फिर बिछड़ जाते हैं


कुछ मिलते हैं ट्रैन के डिब्बे में

और घर कर जाते हैं

कुछ चाय के नुक्कड़ पे मिले

और चाय के पैसे भी दिए

कुछ चौराहे पे मिले

और सफर में साथ हो लिए

कुछ से संयोगवश मिले

और मिलते ही गए

कुछ ने कहा मिलते हैं फिर कभी

और फिर कभी न मिले


कुछ ने बेहद ख़्याल रखा मेरा

कुछ ने हर पता नोट करके रखा मेरा

कुछ ने रास्ता बताया मुझे

कुछ ने रात भर जगाये रखा मुझे

कुछ ने बहुत उधार दिया मुझे

बहुतों को तो मैंने वापस भी नहीं किया

इसी बहाने याद तो करते हैं कम से कम

और मैंने भी नंबर चेंज नहीं किया


कुछ हमें भी याद करते हैं

कुछ को हमें करना पड़ता है

याद आते हैं पुराने यूँ कि

क़िस्से पुराने पे हंसना पड़ता है

नए कपड़े शुरुआत में चुभते हैं

फिर अच्छे लगने लगते हैं

किंतु पुराने की होड़ नहीं कर पाते

पुराने कपड़े खुद ब खुद

सिलवट एडजस्ट करते हैं


पुराने नए, उधार वाले उपकार वाले

सबको लेकिन मैं अपने दिल की तह में

कपड़ों की तरह सजा के रखता हूँ

मेरा दिल देखिये कितना बड़ा है

मैं अब भी कुछ नए कपड़े

खरीदने की चाहत रखता हूँ



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