बन खुद की निर्देशक
बन खुद की निर्देशक
बन खुद की निर्देशक
औरों की मर्जी से अब तक जीती आई
दूसरो के बनाए रास्तों पर चलती आई
कब तक चलेगी दूसरो के इशारों पर
जिएगी दूसरो के सहारे पर
उठ, खुद को पहचान, अपना आत्मविश्वास जगा
तू नही किसी से कम,
बन खुद की निर्देशक खुद की राहें बना
छोड़ दूसरो की उंगली पकड़ चलना
कातर नजरों से मदद के लिए तकना
तू है दुर्गा तू है काली
तू चाहे तो जीत ले दुनिया सारी
ठोकर खाकर संभलना सीख
गिर कर खुद उठना सीख
सहारे की आस ना कर
बन खुद की निर्देशक इस जहान को फतह कर
गया वो वक्त जीती थी घुट घुट कर।
चुप रहती सब कुछ सहती, रोती छुप छुप कर।।
तोड़ के रूढ़ियों की दीवार
अपने हक के लिए आवाज उठा
मार्ग दर्शक बन औरों को राह दिखा
आगे बढ़ कायम कर एक मिसाल
बन के एक निर्देशक,नए युग का कर निर्माण
मत समझ खुद को कमजोर
खुद की शर्तो पर जीना सीख
दूसरों के सपने पूरी करती आई
अपने सपनों में हकीकत का रंग भर
तूने संवारी दुनिया सारी ,अब आई तेरी बारी
बन खुद की निर्देशक अपनी जिंदगी को निखार
माना काट दिए थे तेरे पंख
दफन कर दी जीने की उमंग
अब तक परिवार के लिए जीती रही
अपने घायल पंखों को आंसुओ से धोती रही
गम ना कर, उन पर उम्मीद का मलहम लगा
अपने लिए समय निकाल
तेरी है जमीन, तेरा ही आसमान
बन खुद की निर्देशक, ऊंची भर उड़ान।