बलात्कार
बलात्कार
सुनसान सड़कों पर लाइट है
बहुत लगा दी सरकार ने
मगर लड़की अकेली चल सके ऐसा
कोई कानून नहीं बना पाई है सरकार
सोच छोटी नहीं
वह मेरे कपड़ों को छोटा कहते हैं
बलात्कार करते हैं वह बलात्कारी नहीं
तो मुझे चरित्रहीन क्यों कहते हैं
वह जिस्म का भूखा
मोहब्बत के लिबास में मिलाया
पहचानती कैसे उसे
चेहरे पर चेहरा चढ़ा था।
