जिंदगी
जिंदगी
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थोड़ा थक सी गई हूं मैं ..
इसीलिए ज्यादा बोलना छोड़ दिया है
लेकिन इसका मतलब यह नहीं..
कि मैंने रिश्ते निभाने छोड़ दिए
अक्सर रिश्तों में
अजीब सी दूरियां बढ़ जाती हैं!
लेकिन ऐसा नहीं कि मैंने
अपनों से बात करना छोड़ दिया !
हां मैं अकेला महसूस करती हूँ ..
अपनों की भीड़ मैं
पर ऐसा नहीं कि मैंने
अपनापन ही छोड़ दिया !
याद तो करती हूं मैं सबको
परवाह करती हूं,
पर कितनी करती हूँ
बताना छोड़ दिया !
