बलात्कार
बलात्कार
हर बार बलात्कार के बाद ये मुद्दा उठाया जाता है,
फांसी दो गुनहगार को,
जोरों शोरों से मोमबत्तियां जलाकर शोक मनाया जाता है,
हर कोई इसी मुद्दे पर चर्चा करने में लग जाता है,
चार दिन के लिए तो हर कोई हाईकोर्ट का जज ही बन जाता है,
गुनहगार को क्या सजा मिलनी चाहिए ये हर कोई बताता है,
चार दिन तक तो मीडिया भी इस मुद्दे को खूब दिखाता है
पांचवें दिन फिर वो बॉलीवुड की बातों में चला जाता है,
मुद्दे हुए को एक हफ्ता बीत जाने के बाद वो मुद्दा फाइलों में बंद हो जाता है,
महीने, साल नही दस साल बाद सजा का ऐलान किया जाता है....