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Dr. Vikas Kumar Sharma

Inspirational Others

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Dr. Vikas Kumar Sharma

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बिल्लु चोर

बिल्लु चोर

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हमारे घर की चीफ लेडी

कभी लगती सीधी 

कभी लगती टेढ़ी


मम्मी-पापा सब हैं डरते

उनकी आज्ञा का पालन करते


उम्र हो गई है सत्तर पार

उनके आगे नौजवान भी हैं बेकार


सुबह-सवेरे जल्दी जग जाती

पार्क के कुछ चक्कर लगाती


दुर्गा माँ की है बड़ी भक्त

अंदर से नरम बाहर से सख्त


गली मौहल्ले में है इनका नाम

छोटे-बड़े सबके आती है काम


चोरी करने घुसा एक चोर

दादी ने मचा दिया शोर


ठोकर से गिर पड़ा लोटा

दादी ने संभाला अपना सोटा


दादी की थी अजब माया

बोली कौन-सा चोर है आया


मैं हूँ, मैं हूँ

बिल्लु हूँ दादी

परसों होने वाली है मेरी शादी


खर्चा होगा बहुत ही ज्यादा

आखिरी चोरी है करता हूँ वादा


जेवर-पैसा दे दो सारा

भगवान भला करे तुम्हारा


नाम बताते हो तुम बिल्लु

आवाज से लगते हो बिल्कुल ढ़िल्लु


तुम्हारी दादी थी मेरी बहना

ले जाओ तुम सारा गहना


तुम्हारे माँ-बाप ने की बहुत भलाई

और तुम खा रहे चोरी की कमाई


लो चाबी खोलो अलमारी

शादी की सब करो तैयारी


चाबी लेकर चोर रो पड़ा

दादी के पैरों में गिर पड़ा


बोला

मेरे जीवन में आया था एक मोड़

बेरोजगारी ने दी थी कमर तोड़


चोरी से मैं भी हूँ परेशान

खराब कर रहा मेरे परिवार का नाम


दादी तुम हो बहुत अच्छी

मैं भी खाता हूँ शपथ एक सच्ची


ईमानदारी से अब कमाऊँगा

चोरी करने कभी नहीं जाऊँगा


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