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बिखरे सपने

बिखरे सपने

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टूट कर बिखरे सपने

पड़े हैं एक कोने में,

आज उन्हें

सिसकने की भी

इज़ाज़त नहीं,

क्यूंकि गलती तो

इनकी ही है,

क्यों बस गए इन आँखों में

सतरंगी पंख लगा कर,

अब तो पंख का

बस एक ही रंग

बचा है स्याह सा,

उसे भी आज नोच कर

परे कर दिया गया है

और बच गयी है

ये सूनी बेजान आँखें।

 


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