बिखरा प्यार
बिखरा प्यार
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नेह स्मृति के पन्नो पर
तेरी स्मृतियां लेकर क्यो घूमूँ
करुण भाव से मन लेकर
तेरी चाहत में मैं क्यों घूमूँ,
मैं बावरा तेरी चाहत में
फिर रहा कही मारा मारा
तेरी चाहत की परछाई ने
मुझको तो है पल पल मारा
अब रही नही जो तू मेरी
तेरी बतियाँ लेकर क्यो घूमूँ
नेह स्मृति के पन्नो पर
तेरी स्मृतियाँ लेकर क्यों घूमूँ,
मैं वफ़ा किया तुझपर प्रियवर
तू निकली बेवफा भारी
मैं निकला प्रेम पथिक मन का
तेरे प्रेम में भरमा क्यों घूमूँ
नेह स्मृति के पन्नो पर
तेरी स्मृतियाँ लेकर क्यों घूमूँ,
तेरी चाहत ने मेरी आँखों के
मोती बिखराये इधर उधर
मैं क्रन्दन करता फिरता था
तेरे प्यार को पाने क्यों घूमूँ
नेह स्मृति के पन्नो पर
तेरी स्मृतियां लेकर क्यों घूमूँ?