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Suman Tiwari

Drama

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Suman Tiwari

Drama

भूलें सदा चुभा करती हैं

भूलें सदा चुभा करती हैं

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नयनों से जो आंसू बहते,

जग के सुख-दुख को हैं कहते;


अंत:मन की पीड़ाएँ नित,

श्वासों से उलझा करती हैं;


शूल नहीं पथ में मानव के,

भूलें सदा चुभा करती हैं।


बात अजब है अजब पहेली,

बहुत पुरातन मगर नवेली;


युगों-युगों से युगों-युगों तक,

मानव बीच बुझा करती हैं;


शूल नहीं पथ में मानव के,

भूलें सदा चुभा करतीं हैं।


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