STORYMIRROR

PRATAP CHAUHAN

Abstract

4  

PRATAP CHAUHAN

Abstract

भूल गए सब

भूल गए सब

1 min
404

पहले गर्मियों की छुट्टियों में 

जाते थे मनाली हिल्स पर


 वह ठंडक भरी हवाएं

 ठंडक देती थी दिल पर

 रोपवे पर बैठकर झांकते थे नीचे

वो सब यादें अब रह गई पीछे


चिड़ियाघर, वाटर वर्ल्ड क्या होता है

कुछ भी याद नहीं आता अब 

यह सब हो गई बीती बातें हैं

अब तो भूल गए सब।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract