बहू को ताना
बहू को ताना
(१) मरे जात थे अपने घर,
पुतरिया लाने वो,
कछु दिनन के बाद पुतरिया
ताने मारे वो।
(२) हर बातन में टोका टाकी,
गलती हो ना हो,
उलट चोर कोतवाल को डांटे,
माफी मगायें वो।
(३)दाईज तू इतना सा लाई,
जैंसे भिखारी हौं।
तेरे गुणन की करी वकालत,
न आवे कछु तोय।
(४) खा खा के तू यहां नसानी,
फांके थे भां तोय।
कछु करे ना गोड पिरा रय,
नखर सवा मन होय।
(५)अबकी बार तू जा न अइऐ,
हम समझाएं तोय।
आए तो कछु लेके अईये,
ना राखेंगे तोय।।