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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Abstract

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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भ्रम टूटा

भ्रम टूटा

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भ्रम टूटा पर देर हो गये 

सब्र रूठा पर अंधेर हो गये 

किस किस का ज़िक्र करोगे 

हस्र झूठा पर सबेर हो गये !


अब तो सब दिख कर रहेगा 

सच् का सच् और झूठ का सच् 

कब कब हारे क्या कहें जानिब 

कद्र हुआ पर ठठेर हो गये !


तख्त पर तान बैठे हो आज 

क्या तुम भी हार जाओगे ,

झूठ औ झूठ का व्यापार है 

सद्र हुए पर कठेर हो गये !!



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