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Nitu Mathur

Inspirational

4  

Nitu Mathur

Inspirational

भोर

भोर

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भोर की लालिमा से माटी की महक तक

 लहराती पवन से चिड़ियों की चहक तक,


 सुदूर शहर से मेरे कच्चे गांव के खेत तक

 फिर से मुड़ते हुए नादान अल्हड़पन तक,


 गालों के गढ़ढों से रोम रोम में उतरने तक

 मेज़ पर बिछी सफेद चादर पर की चमक,


और उस पर रखी गरम चाय के उड़ते छल्ले

गर्मजोशी से दे रहे हैं नए उजाले की दस्तक,


नव विचार से हो अभिनंदन हर दिन का

उज्जवल किरणों संग करूं हौसला पक्का। 


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