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Sandeep Suman Chourasia

Inspirational

2.5  

Sandeep Suman Chourasia

Inspirational

भीड़ नहीं बनना है मुझको

भीड़ नहीं बनना है मुझको

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भीड़ नहीं बनना है मुझको,

भेड़ नहीं बनना है मुझको,

भीड़ को नहीं सौपना है खुद को,

भयावाह मौत नहीं मरना है मुझको,

मखमल नहीं कांटों पर चलना है मुझको,

सोफे पे नहीं अंगारों पर तपना है मुझको,

उपहास के समक्ष घुटने टेकना नहीं है मुझको,

भीड़ नहीं बनना है मुझको,

भेड़ नहीं बनना है मुझको।


तुम लाख बत्तीसी दिखलाओगे,

मेरी क्षमता का मजाक बनाओगे,

मैं उसे ही अपना प्रण लूँगा,

जीने का नहीं मरने का हर क्षण वचन लूँगा,

मैं एयरकंडीशनर की सुगंध नहीं, अंगीठी का घुटन लूँगा;

मैं सौ वर्ष जियूँ ना जियूँ पर,

एक ही जन्म में कई जन्म और मरण लूँगा,

पर खुद को भीड़ का हिस्सा ना बनने दूँगा,

मैं भेड़ की भांति खुद को ना चरने दूँगा।


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