आंखों आंखों में
आंखों आंखों में
यह आंखें ही तो है
जो ईश्वर का दिया हुआ ऐसा रत्न है।
जिससे हम इतनी सुंदर सृष्टि को देख सकते हैं।
अपनी बातों को हमारे आंखों से भी समझ सकते हैं ।
दृष्टि बहुत तरह की होती है ।
प्यार भरी आंखे
नफरत भरी आंखें
मस्ती भरी आंखे
याचना भरी आंखें
शर्म से झुकी हुई आंखें
दुख भरी आंखें आंखों की भाषा बहुत कुछ बयां कर जाती है।
अधिकतर महिलाएं अपने आंसू आंखों में छिपा दुख में भी हंसी का झूठा दिखावा करती हैं।
मगर उनकी आंखें बहुत कुछ कह जाती हैं।
तब वे अपने आंसुओं को खुशी के आंसू बात जाती हैं।
यह आंखें हैं जनाब उनकी भाषा अनमोल है।
जो इनको समझ ले वास्तव में वह समझदार है।
हमने भी बहुत सारी मस्ती आंखों के जरिए करी है।
समय था बचपन का,
बच्चों की मस्ती भरी टोली का,
इशारों इशारों में आज किस को नचाना है ।
आज बलि का बकरा किसको बनाना है।
फिर पूरी मस्ती के साथ मौज मनाना है ।
कभी-कभी तो हम भी इसका शिकार हो जाते थे।
आपस की मस्ती में कभी हम भी उनके झांसे में आ ही जाते थे ।
मगर जो भी कहो समय बहुत प्यारा था
सब समय से न्यारा यह बचपन का प्यारा साथ था
अपना क्या खुशमिजाज मस्तीखोर होते थे।
फिर कितना हंसते कि हंसते-हंसते आंखों में पानी आ जाता था ।
आज वे सपने सपने ही रह गए।
क्योंकि हमारे प्रियतम तो इशारों में बात करते ही नहीं।
इतने सीधे साधे हैं कि इशारों की भाषा समझते ही नहीं।
तो इशारों में बात करना भी सब छूट ही गया है।