अंजान रास्तों पर मेरा सफल सफर
अंजान रास्तों पर मेरा सफल सफर
यह जिंदगी है जनाब यहां हर किसी को अनजान अज्ञात राहों पर सफर करना पड़ता है।
अंजान अज्ञात रास्तों से गुजरना पड़ता है।
हम भी गुजरे हैं,
इस अंजान अज्ञात सफर के रास्तों से।
सफर में साथी भी हमारा अनजान था हमारे साथ।
परिवार भी हमारे लिए अनजान था।
मगर फिर भी हिम्मत हौसले की कमी ना थी।
नए लोगों को अपना बनाने के उत्साह की कमी ना थी।
मन में उत्साह उमंग लिए, चल पड़े हम दो मुसाफिर एक साथ अनजान सुहाने सफर की तरफ।
उनअज्ञात रास्तों को अपना बनाते हुए,
यह चलते चलते हम यहां तक आ गए ।
सफर अंजान नहीं मगर सुहाना जरूर हो गया।
कल को जब याद करते हैं, तब हम जिंदगी की शुरुआत के अंजान दिनों में अज्ञात राहों में जो संघर्ष हमने करें है।
उन संघर्ष को याद करके अपना संघर्ष भूल, कामयाबी को याद कर जाते हैं।
हम भूल जाते हैं और अपनी सुहानी यादों में खो जाते हैं।
था सफर अंजाना रास्ता भी अज्ञात था हमारा, मगर प्यारे साथी के साथ सुहाना हो गया ।
आज यहां तक आकर हम आपके साथ अपनी कहानी कर रहे हैं बयां।
लेखन के अज्ञात रास्ते पर भी हमने कदम बढ़ाया,
और सफलता के साथ आप जैसे मित्रों का साथ पाया अब अज्ञात रास्ते अज्ञात नहीं रहे,जाने पहचाने हो गए।
हमको भी लेखक के रूप में नयी पहचान दे गए।