सफलता चारों ओर
सफलता चारों ओर
एक मां अपने बच्चों को समझा रही है कि तुम जिंदगी में सफल बनने के लिए कौन सी दिशा चुनो।
क्योंकि उसके बेटे को सब मैनेजमेंट में जाने को बोल रहे हैं।
और उसे बच्चे का बिल्कुल मन नहीं है उसको आईटी में ही कुछ करना है, और वह बहुत ही गफलत में है कि मैं क्या करूं। तब उसकी मां उसको समझा रही है।
मेरी कविता मेरे भाव
सफलता की कोई दिशा नहीं होती।
सफलता तो सही जगह सही दिशा में मेहनत मांग लेती है।
अपनी पसंद की लाइन में सही जगह जो मेहनत करो तो सफलता जरूर तुम्हारे कदम चूमेगी।
वही दिशा तुम्हारी सफलता की दिशा बनेगी।
वही दिशा तुमको पुरुषार्थ करने को प्रेरित करेगी।
बस जरूरत है तो अपने लक्ष्य की तरफ पूरा 100% देने की।
तो कामयाबी जरूर तुम्हारे कदम चूमेगी।
किसी के कहने में आकर कभी ना तुम अपनी दिशा बदलना।
जो तुम्हारे दिल और दिमाग को सही लगे हुए काम करना।
पूरे पुरुषार्थ से अपनी मेहनत लगन से सफलता की दिशा में कदम बढ़ाओगे तो सफलता जरूर तुम्हारे कदम चूमेगी।
थोड़ी आशा थोड़ा विश्वास थोड़ी हिम्मत अपने अंदर जगाओगे।
कभी भी किसी मुश्किल से ना घबराओगे।
तो भले सफलता कोई भी दिशा में हो।
उसे दिशा में ही तुम अपना लक्ष्य पा जाओगे।
और जिंदगी को सफल बनाओगे।
भेड़ चाल में आकर ना कभी अपनी लाइन को चुनना।
जो दिल को पसंद हो वह लाइन चुनकर जी जान से मेहनत कर उस लाइन में तुम सफलता पा जाओगे।
साथ में ईश्वर और बड़ों का आशीर्वाद भी पा जाओगे।
सफलता अपने दिमाग पर हावी न होने देना।
कभी अपनी सफलता का घमंड ना करना।
दूसरों को अपने से कमतर न समझना।
हमेशा नेकी पर चलना दो नंबर के तुम काम ना करना।
तो जिंदगी भी तुम सफल बन जाओगे।
सफलता चहुं और है।
बस दिशा तुमको तय करनी है कि तुमको किस दिशा में जाना है।
और अपना जीवन सफल बनाना है।
और कुछ साल बाद जिंदगी के सफर में जब उसने उस बच्चे की कामयाबी देखी तो
उन मां-बाप का दिल
प्रसन्नता और सुकुन से
भर कर बहुत शुभाशीष दे गया।
और ईश्वर का धन्यवाद कर गया।