भारत की भूमि
भारत की भूमि
सोना है भारत की भूमि
कण-कण देवों की तपोभूमि
बुद्धि, विवेक का सागर है ये
प्रेम, समर्पण की है भूमि।
शस्य श्यामल इसके ग्राम
त्याग-तप का है परिणाम
भाव प्रवण हैं, मन निष्काम
हर शरीर इक पावन धाम।
जहां का जल गंगा सा निर्मल
हृदय विशाल हैं, भाव हैं कोमल
जहां कर्म ही पूजा है
ज्ञान यही मिलता है पल पल।
जहां वेद, कुरान, गुरुवाणी, गीता
शिक्षाओं से अगणित दिल जीता
जहां हर बालक में राम हैं बसते
हर नारी में बसती सीता।
रातों को माँ जब लोरी गाती
नैतिकता के पाठ पढ़ाती
जहाँ रिश्ते व मर्यादा ही
प्रमुख पूंजी हैं ये समझाती।
आदर्शों व संस्कारों की भूमि
न्यायोचित व्यवहारों को भूमि
वसुधैव कुटुंबकम पहचान यही है
सोना है भारत की भूमि।।