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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

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Preeti Sharma "ASEEM"

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भारत का कुंभ मेला

भारत का कुंभ मेला

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कुम्भ को, कुम्भ में लाया

जीवन कुम्भ को,

कुम्भ में ले आया।

जीवन के दर्शन को,

साध आया हूँ।


मन की तृष्णाओं से,

लेकिन कहाँ !

निकल मैं पाया।

जीवन कुम्भ को,

कुम्भ में ले आया।


प्रश्नों में ऐसा उलझा

कोई उत्तर न दें पाया।

तेरी काया तेरी माया।

समझा और जान न पाया।


तृष्णाओं को सौंपने तुझको

मैं जीवन कुम्भ ले आया।

तुममें मिलूँ, तुम-सा बनूँ

हर आस को भरके ले आया।


तुम जल जीवन के कुम्भ-कुम्भ

मैं जीवन कुम्भ,

कुम्भ से भरने आया।


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