Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dharm Veer Raika

Abstract

3  

Dharm Veer Raika

Abstract

भाई मैं हूँ नादान

भाई मैं हूँ नादान

1 min
239


मैं हूं नादान इस रिश्ते का ,

तु मैदान है इस फरिश्ते का ,


बैठ सके तो बैठ इन भाइयों के संग में,

मिल सके तो मिल भाइयों के रंग में ,

ना कोई इस दरिंदगी जग में ,

पर रह भाइयों के साथ जिंदगी के मग में ,

मैं हूं नादान भाई इस रिश्ते का,

तू है मैदान इस फरिश्ते का ।


साथ निभाना इन भाइयों का,

क्योंकि नहीं पता इनको सर्दी की रजाइयों का,

तू सावन का मेहमान में भादवा का रहमान ,

इनका साथ रखना जजमान ,

क्योंकि यह है अब मेजबान ,

धर्मवीर की कलम से सातों जन्म से,

निभाना इनका साथ सनम से ,

क्योंकि मैं हूं नादान इस रिश्ते का,

तू है मैदान है फरिश्ते का ।

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract