भाई ! बेहद खास है तू
भाई ! बेहद खास है तू


भाई कहकर मैं तुझे और
तू मुझे कुछ इस तरह
पुकारा करते हैं हम,
हाँ, थोडे अलग और थोड़े
शैतान ज़रूर है हम,
उम्र का फासला ज़रूर है हममें
पर रिश्तों में नहीं क्यूँ कि
तू मेर fatty और
मैं तेरी oggy है बशक।
बहुत खास है तू
और बहुत खास हूँ मैं
इसलिए बेहद खास हैं हम,
कुछ खट्टी मीठी यादों के साथ,
साथ है हम।
जैसे तेरा यू वक़्त पर
खाना ना मिलने पर
नाराज हो जाना और
मुझ पर बरसना फिर मेर ये कहना कि
"कुछ बना दू भाई ?"
और तेरा गुस्से से कहना कि
"नहीं खाना मुझे कूछ कितने बार बोलूँ"
हाँ लड़ते हैं हम,
झगड़ते हैं हम।
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नाराजगी दिखा कर
अपना पन जताया करते हैं हम,
घर पर एक के भी ना मौजुद होने पर
एक दूसरे को कॉल लगाया करते है हम।
हाँ लड़ते हैं हम,
झगड़ते हैं हम
पर कुछ ही पलों की
नाराजगी के बाद
साथ हुआ करते हैं हम।
कभी कहा नहीं पर
कहना चाहती हूँ मैं
कि बेहद खास है तू।
देर रात मेरी
कोल्ड कॉफ़ी की इच्छा को भी
पूरी करने वाला
मेरा बड़ा भाई है तू।
जिन्दगी मे परेशानियों से आई
हल चल को खुद मर
कैद रख चेहरे में
एक प्यारी मुस्कुराहट
रखने वाला मेरा भाई है तू।
कभी कहा नहीं पर
कहना चाहती हूँ कि
बेहद खास है तू।