बारिश !
बारिश !

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बारिश !
जब जब जुबान पे
बारिश का जिक्र हो
तब तब दिल में
खयाल तुम्हरा आये।
ना जानूँ मैं क्या मेल है
तुम्हारा और आसमाँ से
बरसती इन बूंदों का।
बिन मेल ही
सतरंगी खुश करती
ऐसी चेहरे में
एक मुस्कुराहट आये।
ना जानूँ मैं
क्या मेल है
तुम्हरा और आसमाँ से
बरसती इन बूंदों का
कि जब जब आहें भरूँ,
इन बूंदो के छू जाने
तब तब दिल में
ख्याल तुम्हरा आये।