बेटी जिगर का टुकड़ा
बेटी जिगर का टुकड़ा
पाल पोस के बड़ा किया
अब अलविदा क्यों
आपने मुझे कह दिया
आपकी जान पापा की परी।
को क्यों हमेशा छोड़ के
जानी पड़ती है,
अपने ही घर में अपनी ही छवि।
बचपन में करे थे जो वादे,
हमेशा रहेंगे संग
तो आज क्यों बोल रही हो कि
जाओ अपने पति के संग।
बचपन में क्यों बनाया था
मुझे झांसी की रानी
जबकि आपको पता था कि
मेरे जीवन पर होगी
मेरे पति की ही मनमानी।
बचपन में अपने लिए
लड़ने के क्यों दिखाए थे
मुझे अरमान
जबकि आपको पता था कि
हर लड़की के खिलाफ
है ये पूरा भ्रम।
मैंने पूरी दुनिया से
पूछा था एक सवाल
कि जब एक लड़की
पैदा होती हैं तो क्यों
मचता है बवाल ?
अब पता चला कि
मेरा जवाब क्यों नहीं दे
पाई ये दुनिया
क्योंकि ये एक
लड़की को कभी
नहीं समझाया।
