बेटी हारी, बलात्कारी जीता
बेटी हारी, बलात्कारी जीता
वाह रे सुप्रीम कोर्ट,
तुमने क्या जजमेंट सुनाया है..
दस साल से रुके आंसुओं को तुमने
फिर से बहवाया है, वाह रे सुप्रीम कोर्ट
उस मासूम किरण के साथ हुई दरिंदगी का
तुमने क्या खूब कीमत लगाया है,
दोषियों को रिहा कर तुमने,
क्या खूब अपनापन दिखाया है
वाह रे सुप्रीम कोर्ट
दस साल पहले जिस चीख ने
पूरे देश की बेटियों को डराया था,
आज तेरे इस जजमेंट ने फिर से
उस दर्द को जगाया है,
वाह रे सुप्रीम कोर्ट
भ्रुण हत्या पर तुमने ही
जुर्माना और दंड लगाया था
पर तेरे आज के इस जजमेंट ने
कितनी ही मां को भ्रुण हत्या के लिए
ललकारा है
वाह रे सुप्रीम कोर्ट
एक बेखौफ बाप को तुमने
आज क्या खूब डराया है
अपनी बेटी को शेरनी कहने वाला भी
आज बहुत घबराया है
वाह रे सुप्रीम कोर्ट
किरण को इंसाफ न देकर
तुमने ही संविधान का मजाक बनाया है
दस साल से मां बाप जिस उम्मीद से बंधे थे
आज के तेरे इस जजमेंट ने
उनके उम्मीदों का क्या खूब गला दबाया है
वाह रे सुप्रीम कोर्ट
आज के तेरे जजमेंट से हर नागरिक घबराया है
तुझे जज की कुर्सी पर बैठाने वाला भी
आज क्या खूब शर्माया है
वाह रे सुप्रीम कोर्ट,
तुमने क्या जजमेंट सुनाया है
तुमने क्या जजमेंट सुनाया है।