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meri kissebaazi

Tragedy Others

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meri kissebaazi

Tragedy Others

बेरोज़गार लड़कियां

बेरोज़गार लड़कियां

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तुमने बात की देश में बढ़ती बेरोज़गारी की।

शहरी पढ़े लिखे युवा बेरोज़गारों की,

उनकी मानसिक परेशानियों की।

दिन ब दिन बढ़ती संख्या बेरोज़गारों की।

पर आंकड़े दिखाए सिर्फ़ बेरोज़गार लड़कों के !

क्या गिनती में नहीं आती लड़कियों की बेरोज़गारी और उनकी पढ़ाई ?

तुम लिखते हो अपनी बेरोज़गारी की तकलीफ़,

तकलीफ़ अपने मन की,

दिखाते उन कागज़ पर लिखी अपनी डिग्रियों को,

गिनाते हो घर परिवार से मिली लानतों को।

कहते हो तुम मर जाओगे यूं ही एक दिन नौकरी की तलाश में।

लोग जुड़ते हैं तुम्हारे दर्द से,

मानते हैं तुम्हें अपना हमदर्द।

पर तुम भूल गए अपने ही घरों में मौजूद लड़कियों को

अपनी मांओं, बहनों और पत्नियों को।

जिन्हें तुमने हर रोज़ देखा है मेहनत करते,

जो शायद तुमसे अधिक पढ़ीं हैं या तुम्हारे बराबर।

पर तुम्हारे लिए उनके रोज़गार से ज़रूरी उनकी शादियां हैं।

तुमने लिखकर अपने दिल, कलम घिसे हैं

लड़कियों की खूबसूरती, प्रेम, वफ़ा, बेवफ़ाई , त्याग की कहानियों पर।

बस लिखा नहीं कुछ भी तो उनकी नौकरी और पढ़ाई पर

तुमने अनदेखा, अनसुना किया है अपने समाज की हर उम्र

" बेरोज़गार लड़कियों " को।



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