बेहिसाब इश्क़
बेहिसाब इश्क़
बेहिसाब इश्क़ करूँगा तुझ से,
जब उतरेंगे इश्क़ के समंदर में,
न जुदा करने वाले होंगे न तड़पाने वाले होंगे,
न बन्दिशें होंगी न किसी का पर्दा होगा।
वहाँ हम होंगे और तुम होगे,
दिल की ज़मी होगी खुला आँसमां होगा।
होगा अपना भी एक किस्सा जहाँ में,
सबसे अलग सबसे जुदा लोग बातें करेंगे हमारी,
उतरेगी अपनी भी फिल्म जगत सिनेमा में,
दिलों में उतर कर देखेगी दुनियाँ अपनी यारी।
प्यार की स्याही दिल की कलम से,
लिखी जायेगी कहानी अपनी इतिहास में।

