बेहद घुटन है
बेहद घुटन है
आओ बैठो
मिलो कुछ देर यहां भी
अपने आप से मिले
एक अरसा हो गया।
आज बाजार में भीड़ है
बेहद घुटन है
चलो किसी दुकान से
थोड़ा प्यार खरीद ले।
बहुत तड़के ही
पार्क में घूमते हैं लोग
चलो आओ -
उनको थोड़ा और
जगाते हैं हम।
हर रोज आइने में
हम देखते हैं चेहरा
फिर भी न जाने क्यों
वे हररोज आईना
दिखाते हैं हमें।
मौसम बहुत से
आए गए मेरे घर में भी
पर सुकूँ का मौसम
न हुआ मयस्सर मुझे।
हर तरफ हमने की
सच बोलने की कोशिश
हम अपनी ही गली में
लावारिस होते गए।
वे ढूँढ़ते हैं उफक के
उजाले की किरण
हम "निशा" में
संजीदगी के
निशां छोड़ गए।