Abhilasha Chauhan

Abstract

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Abhilasha Chauhan

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बदलती हवाएं बड़ी बेरहम हैं

बदलती हवाएं बड़ी बेरहम हैं

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हवाएं अब बदल गईं हैं

शीतलता भी

कहीं गुम हो गई

अब ये हवाएं जलाती

बहुत है।


नमी आंसुओं की

इनमें अब नहीं हैं

पैगाम

किसी का लाती नहीं है

बदल दिया है।


इन हवाओं ने

इंसानी फितरत को

अब ये मरहम दिल पे

लगाती नहीं है।


देती हैं बेरहमी से घाव

अफवाहें ये फैलाती बहुत हैं

खंजर सी चुभती

हवाएं आज कल की

सुकूं दिल को ये पहुंचाती नहीं है।


उड़ा देती हैं पल में

सजे आशियाने

रहम बेरहम खाती नहीं है

खामोशी इनकी खटकती बहुत है

दिल को ये धड़काती बहुत है।


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