बड़े दिन की छुट्टी
बड़े दिन की छुट्टी
जिंदगी छुट्टी के नाम से ही,
खुश हो जाती है।
कितनी छुट्टियां आएंगी आगे ,
यही सोच के
खुशी से काम पे जाती है
जिंदगी छुट्टी के नाम से ही,
खुश हो जाती है।
स्कूल की छुट्टी से
कैसे खुश हो जाते बच्चे
किस तरह भागते -दौड़ते बच्चे।
अपने अपने काम से
जब छुट्टी होती
घर पर जाने की
कितनी जल्दी होती।
पक्षी दाना चुग के,
शाम को लौटते हैं
सब अपनी -अपनी
छुट्टी को जानते हैं।
और बड़े दिन की छुट्टी के
तो क्या कहने
खुश हो जाते हैं
बच्चे या हों सयाने।
बड़े दिन की छुट्टी
नानी का घर याद दिलाती है
एक बेटी को मायके में बुलाती है।
बड़े दिन की छुट्टी में
जब कहीं घूम आएं
हम कितनी यादों की
पोटली भर ले आएं।
हम बड़े दिन की छुट्टी में
नीरसता को छोड़ आएं
हम भरकर ,
नया आत्मविश्वास,
जिंदगी को ,
उत्साह से जोड़ आएं।
हम बड़े दिन की छुट्टी में,
गमों को भूला कर,
खुशियों से जोड़ आएं।
