बचपन
बचपन
काश बचपन फिर लौट आता
तितलियां पकड़ने की चाह में
फिर चोट में खाताl
काश बचपन फिर लौटा आता !
खिलौने तरह-तरह के मेरे पास होते
जो मेरे इशारों पर नाचते -गाते
जब भी घर का कोई बाजार जाता
कुछ और खिलौने खरीद लाता
काश बचपन फिर लौट आता !
फिक्र मुझे ना होती कुछ पाने की
तड़प मुझे ना होती कुछ खोने की
सब कुछ मेरे पास होता
कभी मैं मां की गोद में जाता
तो कभी दूर भाग जाता !
सबकी आंखों का में तारा होता
काश बचपन फिर लौट आता!
