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Ridima Hotwani

Abstract Classics Children

4.5  

Ridima Hotwani

Abstract Classics Children

बचपन( टाईम-मशीन)

बचपन( टाईम-मशीन)

1 min
365


बीते हुए ￶लम्हें उदार माँग लूँ,

हो कोई टाइम मशीन डोरेमोन की तरहा तो

डोरेमोन या फिर नोबिता का किरदार ही माँग लूँ

डोरेनी हो, जियान हो, या फिर शिनचैन हो,


ultra been(,U.B) हो, परमैन होया छोटा भीम हो या 

चाहे हो कोई भी ताकतवर या चाहे हो जादूई किरदार 

या Tom n Jerry की मस्तियाँ,

माँग लूँ मैं फिर से उधार,

लर लूँ पूरी, अपनी हर मनुहार


रहने दो इन सारे किरदारों को तो मैंने,

अपनी कल्पना में भी जिया है,

ना जिया हो, कल्पना में तो

अपने बच्चों के बचपन में,

T.V के साथ भी जिया है,

जब मिल ही रही है Time Machine,

तो क्ँयू ना माँग लूँ अपना ही "बचपन उघार"


था जिसमें प्यार बेशुमार,

फिक्र नहीं होती थी,

चाहे अपनी ￶गल्ती पर ही  

क्यूँ ना पड़ जाए मार,

खेलना-कूदना दिन-भर चलता था,

पेपर आने पर सिर व हाथ पे,


टीचर व मम्मी-पापा का डंडा भी खूब पड़ता था, 

दीदी-भईया से पूरी कराते थे हर मनुहार,

कहानी सुनाओ- कहानी सुनाओ कहकर  

खा जाते थे नाना-नानी,दादा-दादी के कान

अब कहाँ मिलेंगे, वो फुरसत के पल,


ले चल ऐ Time-Machine फिर से

उसी "बचपन" में जिसे पाने के लिए 

बार-बार मचल जाता है ये मन

"कितना मधुर था बचपन"।


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