बार-बार मचल जाता है ये मन "कितना मधुर था बचपन"। बार-बार मचल जाता है ये मन "कितना मधुर था बचपन"।
कभी सूक्ष्म, कभी विराट, अनजानी, अनसुनी कहानियां। कभी सूक्ष्म, कभी विराट, अनजानी, अनसुनी कहानियां।
नज़र क्यों न आए वो सूरत भली सी रहती थी मुझमें कल तक जो लड़की। नज़र क्यों न आए वो सूरत भली सी रहती थी मुझमें कल तक जो लड़की।
धूम मचाने वाले प्यारे से मेरे जन्मदिन ! धूम मचाने वाले प्यारे से मेरे जन्मदिन !
थोड़ी अल्हड़ थोड़ी पागल वो मासूम सी लड़की अप्सराओं और परियों से ज्यादा वो प्यारी सी लड़की। थोड़ी अल्हड़ थोड़ी पागल वो मासूम सी लड़की अप्सराओं और परियों से ज्यादा वो प्...
दुनिया को दिखा रही अपना आकर्षण। दुनिया को दिखा रही अपना आकर्षण।