बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
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बच्चे होते मन के सच्चे, कभी किसी से झूठ नहीं है बोलते,
कभी किसी का नुक़सान नहीं है करते, केवल सच ही वह है बोलते,
बचपन खेल कूद में बितता, सभी को वह खुश है रखते,
सभी के साथ प्यार से रहते, सभी को वह अपने साथ व्यस्त है रखते,
बच्चों को अपने साथ देखकर सब खुश हो है जाते,
कितनी भी हो परेशानी बच्चों को देखकर वह भी दूर हो है जाती,
बच्चे अपने साथ बड़ों को भी बच्चा बना है देते,
बड़े भी बच्चों के साथ बच्चे जैसा व्यवहार करने लग है जाते,
बचपन में बच्चे हर पल का आनंद है लेते,
अपने घर की चहल पहल वह है होते,
यदि घर में थोड़ी देर बच्चा न मिले तो सभी बैचेन हो है जाते,
बच्चे अपने अंदाज में सभी को व्यस्त है रखते,
बच्चे सभी का मनोरंजन है करते,
बच्चे कभी रूठते कभी मन है जाते, कभी रोते कभी हँस है जाते,
अजीब सी दुनिया बच्चों कि है होती, न कोई दुश्मन,
सभी दोस्त ही दोस्त है होते,
बच्चे होते मन के सच्चे, कभी किसी से झूठ नहीं है बोलते,
कभी किसी का नुक़सान नहीं है करते, केवल सच ही वह है बोलते,