बैरी चाँद
बैरी चाँद


समझा था मैंने जिसे एक
छोटा सा दिल का टुकड़ा
था वो मेरे दिल की जान।
क्या कहूं,था मैं जिसके पीछे
भाग रहा बनकर दीवाना
वह निकला कैसा बैरी चाँद।
समझा था मैंने जिसे एक
छोटा सा दिल का टुकड़ा
था वो मेरे दिल की जान।
क्या कहूं,था मैं जिसके पीछे
भाग रहा बनकर दीवाना
वह निकला कैसा बैरी चाँद।