बात..!!!
बात..!!!
क्यों कहें वो बात जो हम खुद से खफा हो जाएं ,
क्या तुम नहीं जानते? क्या कहेंगे हम क्या कहोगे तुम?
बहुत सलीका है तुम्हें बात करने का.. तो चलो बात करो तुम,
कहनी बहुत शिकायतें है तुम्हें , तो चलो बात करें हम
जो मरासिम ही पहले जैसे ना रहे, क्या वो भी बात कहोगे तुम?
सीख आए हैं अब हम भी बात करना,
क्या अब मेरे जज़्बात सुनोगे तुम?
करनी है और कहनी है, बहुत बातें कहनी है
जो कभी ना कह सके, क्या वो सुन सकोगे तुम?

