बारिश में भीगे मन तो
बारिश में भीगे मन तो


बारिश की चंद बूंदे
ही काफी है मन को
बहलाने के लिए
तूफान की जरूरत नहीं
स्वयं को डराने के लिए
जीवन का हर क्षण
ले आता एक नया डर।
डर जल्दी मरने का
डर मन से ना जी पाने का
डर अपने को खो देने
डर अपनों में गैरों को पाने का।
बारिश की हर एक बूंद
भिगो देती हर एक डर को
बहा ले जाती हर अगर मगर को
उमंग भरे मेघा को
ले जाने दो बेजान तपिश को
बरसे जब मेघा तो
धुल जाए सब डर तो।