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Mishti M

Abstract Others

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Mishti M

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बारिश की बूँद

बारिश की बूँद

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रात भर बारिश की बूंदे भिगोती रही 

सावन है, बारिश का आना आश्चर्य नहीं।


वो भी रात भर तकती रही 

काले बादल घुमड़ घुमड़ कर, 

ना जाने क्या कहना चाह रहे थे।


सुबह धीमी उज्जवल सूरज की किरण,

भीगे पत्तों को चमका रही थी,

सब कुछ जैसे वापस नया सा था ।


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