बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
धरती प्यासी, अंबर प्यासा
प्यासी है अन्न की बंजर ज़मीन।
बरसो हे मेघ तन मन से
के शीतल हो सूर्य की तपन।।
बरसो रे बदरवा हमारे अंगनवा
के अगन अब तन है जरावे।
पी की याद आवे है जबर शीतल
फुहारें पड़े तो जी ठंडा हो जावे।।
पानी की बूँदें बनकर जब
बरसोगी तुम बारिश के मौसम में।
साथ आंधी ना लाना री हवायें
झोपड़ी और अन्न न बहाना बारिश में।।
दूर कहीं जहाँ धरती अंबर
मिलते हों प्रेमियों की तरह।
तन मन तो भिगोना उनके
पर प्यार बढ़ाना अमरबेल की तरह।।
दिलों में बसे किसी अपनों की तरह
उनके वादे पूरे हों प्यार के।
ठंडी फुहारों की तरह मधुवर्षा
करना बारिश की सौगात देके।।
बनकर बरखा दिलों को शांत करना
धर्म जात नफरत कोई ना फैलाये।
के सभी आदमी इंसा बने और
बारिश के मौसम में ख़ुशियाँ फैलाये।।