"बालाजी का दीवाना"
"बालाजी का दीवाना"
जय श्री राम
हनुमानजी तेरे प्रति दीवानगी कुछ ऐसी है
सावन मौसम में जैसे कोई हरी भरी खेती है
मेरी रूह गहराइयों में बालाजी छवि तेरी है
तेरे बिना, मेरे बालाजी यह जिंदगी कैसी है?
जो कोई भी मेरे बालाजी को मुझसे दूर करे,
उस चीज, संसार की होगी ऐसी की तैसी है
बालाजी तुम ही सिर्फ साखी की जिंदगी हो
तुझे भूल जाऊं, जिंदगी लगती मौत जैसी है
तेरे बिना जी नहीं सकता, तुम सांसे मेरी हो
तेरे सिवा, कोई न अंतिम इच्छा, बाला मेरी है
रहना मेरे हृदय में धड़कन बनकर तू वैसी है
जूं रामजी मूरत, तेरे दिल में धड़कन जैसी है।