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Isha Kathuria

Inspirational Others

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Isha Kathuria

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बाबा एक ऐसो वर ढूंढो

बाबा एक ऐसो वर ढूंढो

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बाबा, जानती हूं मैं की अब पच्चीस की पूरी हूं

और समाज यह कहता मुझसे की

अपनी ज़िम्मेदारी को समझ लूं।

गोल रोटी बनाकर, अच्छे से बर्तन जमाकर

बुनाई कढ़ाई में भी निपुण हो जाऊं

पर क्या मेरा हक नहीं मैं भी

एक "योग्य" वर की लिस्ट आपको थमाऊ।


मैं भी तो आप सबको छोड़कर

दूसरे घर जाऊंगी, सात फेरों के वादे

पूरे मन से निभाऊंगी

कोई भी तकलीफ़ आए,

अपने ही अंदर छिपाऊंगी

उस वक़्त मुझे भी कोई समझे,

क्या मैं इतना भी नहीं चाहूँगी?


हां मैं जानती हूं कि मुझे

विवाह करना ही होगा

सुख हो या फिर दुख हो,

जीवन साथी संग चलना होगा

पर मेरी भी तो कुछ उम्मीदें हैं

उस पुरुष को भी तो

कुछ आशाओं पर उतरना होगा।


नहीं मांगती मैं सिर्फ ऐश और आराम

पर शादी के उपरांत करना है

मुझको भी काम

हर बार मैं ही क्यों राशन लाऊं...

क्या उसे नहीं जानने सब्ज़ियों के दाम?

पति की सेवा मेरा कर्तव्य कहलाएगा

पर जब मैं पडूँगी बीमार

वह ऑफ़िस से बहाना करके

मेरे साथ वक़्त बिताएगा?

यह नहीं कोई गुड्डा गुड़िया का खेल

यह तो दो परिवारों का मेल

पापा, मैं जानूं आपके हर फैसले में मेरी भलाई

पर मेरे वर में मुझ को

दिखनी चाहिए आपकी कुछ परछाईं।


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