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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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अस्तित्व

अस्तित्व

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जी हजूरी कर ली बहुत।

 थोड़ी खुद से भी बात कर ली जाए।


 हां में हां मिला ली बहुत ।

 नहीं का भी साज अब छेड़ लिया जाए।


 चुपचाप सुनते रहे बहुत।

 अस्तित्व का एहसास लेकिन  

  अब करा दिया जाए।


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