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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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अष्ट रूप

अष्ट रूप

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महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I

सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II


श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I

श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II


दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I

डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II


माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I

बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II


आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I

जो इनका पूजन करे, उसका बेड़ा पार II


शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I

माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II


शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I

दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II


दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I

माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II


माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I

कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II


गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I

जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II


हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I

माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II


महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I

गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II


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