अष्ट रूप
अष्ट रूप
महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I
सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II
श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I
श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II
दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I
डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II
माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I
बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II
आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I
जो इनका पूजन करे, उसका बेड़ा पार II
शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I
माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II
शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I
दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II
दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I
माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II
माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I
कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II
गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I
जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II
हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I
माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II
महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I
गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II