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Rahul Mishra

Romance

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Rahul Mishra

Romance

अरमां बाँध रहा हूँ...

अरमां बाँध रहा हूँ...

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अरमां बाँध रहा हूँ,
हर एक लफ़्ज-ओ-ग़ज़ल में..
जो पढ़ के रो पड़ो, तो...
जला कर मेरे खत रख देना.. 
 
जो ना रहे यकीन तुमको
मेरी वफ़ा पे, तो खींच लाना
मेरी शायरी को कठघरे में, और..
चारों ओर एक अदालत रख देना..
 
जो गुनाह साबित हो जाए,
तो हक़ है तुम्हे मेरे कत्ल का..
सज़ा मेरी भूल कर भी, हरगिज़
इससे कम मत रख देना..
 
और जो मैं बेगुनाह निकलूं..
तो मुआवज़े की एक शर्त रहेगी..
मैं प्यासी बूँद बन के गिर पड़ूँगा..
तुम अपने होंठों पे एक छत रख देना.


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