अपनो ने ही छोड़ दिया जब अपनो का साथ ,
इश्क की बातें करने वाले देखो हो गये खाक ,
कोई टकटकी लगाये राह तकता रह गया ,
और कोई मजबूर ~ए ~दुहाई देके देखो कैसे ढह गया |
ऐसा मंजर देख दिल तार - तार हो गया ,
इश्क पर से जीते जी अपना विश्वास उठ गया ,
वो अंतिम क्षण विदाई के कितनी तकलीफ दे गये ,
उम्मीद ~ए ~रुस्वाई से आँसुओं के कोर भीगे दे गये |
रिश्ता साथ जन्मों का क्या भला कोई ऐसे निभाता है ?
कि आदमी की खाल को ज़िन्दा नोच खाता है ,
वो तड़प रहा था दर्द में फिर भी उसे उम्मीद थी ,
मगर उसकी उम्मीद बेवफाई से भरी सीख थी |
ऐसा रिश्ता भगवान कभी ना जोड़े किसी के संग ,
जो अंतिम पलों में जीवन के बदल दे अपने बेढंगे रंग ,
अपनी करनी पर पछताना पड़ेगा उसे भी किसी रोज़ ,
जब नैनों में उसके भी बसते होंगे जीवन के बोझ |
इसलिये कभी ना करना धोखा अपने जीवन साथी के साथ ,
गर थामा है तुमने तो कसकर पकड़ना वो बेश्कीमती हाथ ,
ऐसे नाजुक पलों में भी जो तुम एक बार मिलने जा ना सके ,
तो नालत है इस मनुष जीवन पर जो पुण्य एक कमा ना सके ||