अपनी धरा है
अपनी धरा है
अपनी धरा है अपना मंजर
ये गहरा गहरा नीला समंदर
इस जग में हैं अनेकों मंजर
अपनी धरा है............
खुद को जीता मैंने पहले
अपना हुनर भी दिखलाया पहले
सारी दुनिया में फहराने नाम पताका
आज चला हूँ सबसे पहले
अपनी धरा है...............
धरती माँ है अपनी धरोहर
इसमें बसती सारी दुनिया और सरोवर
गंगा-जमुनी तहजीब यहीं है
वीर सपूतों की नींव यहीं है
ऐसे इस पावन धरा को
बसा लिया है अपने अंदर
अपनी धरा है........
विजय पताका फहराने को
लड़ता हूँ पराजय से
इस जग को बचाने को
उखाड़ फेंकता हूँ दुश्मनों को
अखिल विश्व चमक रहा था
चमकता ही रहेगा
भले ही करना पड़े इस पे प्राण न्यौछावर
अपनी धरा है अपना अंबर।