अपना देश!
अपना देश!
भाया मुझको अपना देश!
बाहर दंगल, भीतर मंगल
सुन्दर-सा परिवेश!
दावानल है राग-द्वेष का,
नहीं कहीं विश्रान्ति मिली,
आकुल-व्याकुल हर पल हर क्षण,
सौख्य-मंजरी नहीं खिली!
बाहर आना, तनिक न भाया!
फैला रोग - विशेष!!
भाया मुझको...!
इसको रोना, उसको रोना,
अपना कुछ नहीं फिर क्यों रोना?
सबसे सुन्दर इस जगती में,
अपनी धरती, अपना बिछौना!!
रह जाओ! अब अपने घर पर,
पाओ! हर्ष-विशेष!!
भाया मुझको....!
