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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy Inspirational

अपमानित टाइपराइटर

अपमानित टाइपराइटर

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मुझे पहचाना ? 

नहीं पहचाना ना । 

कैसे पहचानोगे ? 

कबाड़ को कौन पहचानता है ? 

कौन उसे अपना मानता है ? 

जब बूढे मां बाप को भी नहीं मानते लोग 

तो मुझ अप्रचलित टाइपराइटर को कैसे जानेंगे लोग ? 

कभी मेरा भी जमाना हुआ करता था 

बाजार से लेकर सरकार तक 

हर कोई मेरा दीवाना हुआ करता था 

ऐरों गैरों को तो मैं छूने भी नहीं देता था 

मुझे छूने के लिए एक टेस्ट पास करना होता था 

चपरासी से लेकर राष्ट्रपति तक 

सबके नियुक्ति के आदेश मैंने ही टाइप किये थे 

जिन्हें पढकर सब लोग कितने खुश हुए थे 

मेरे बिना कोर्ट कचहरी सब वीरान सी थी 

मेरे बिगड़ जाने पर नौकरशाही बड़ी परेशान सी थी 

मैंने लोगों को फांसी के फंदों तक पहुंचाया है 

जमानत आदेश टंकित कर उत्सव भी मनाया है 

"स्टे ऑर्डर" के लिए बाबू को "नजराना" देना पड़ता है 

"सरकारी आदेश" बिना "खिलाये" नहीं निकलता है 

16 सी सी ए हो या हो 17 सी सी ए की चार्जशीट 

सब मेरे ही हाथों टाइप होकर निहाल हुई थीं 

मेरे ही टाइप किये हुए निलंबन आदेश से 

बहुत से लोगों की पूरी जिंदगी कंगाल हुई थी 

जब मैं किसी नये ठेके का आदेश टाइप करता था 

तब वो भ्रष्टाचारी ठेकेदार बल्लियों उछल जाया क

रता था 

जब कोई आशिक मुझ पर "प्रेम पत्र" टाइप करता था 

तब मैं भी प्रेम की दुनिया में सैर किया करता था 

जब कोई "मिस" मुझे प्रेम से निहारा करती थी 

अपनी नाजुक उंगलियों से मुझे बुहारा करती थी 

वो जब मुस्कुराकर मेरी ओर देखा करती थी 

मेरी जिंदगानी में उस वक्त बहारें हुआ करती थी 

हम दोनों एक दूजे के खयालों में खोते थे 

वो पल मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत होते थे 

जब कोई शोक संदेश टाइप करता था 

तब उसके साथ साथ मेरा की बोर्ड भी रोया करता था

जब कोई मैरिज सर्टिफिकेट टाइप होता था 

मेरा दिल भी नव दंपत्ति को सैकड़ों दुआऐं देता था 

तलाक के आदेश पर मैं खून के आंसू रोता था 

खुंदक में आकर मैं दो चार "की" तोड़ देता था 

आज कम्प्यूटर लैपटॉप के कारण मुझे फेंक दिया है

मेरे काम का नमक हराम समाज ने ये सिला दिया है

मेरी खट खट की आवाज आज पसंद नहीं है 

हर किसी की तकदीर हमेशा रहती बुलंद नहीं है 

इसका मतलब यह तो नहीं है कि पुराने का अपमान करो 

उसकी उपेक्षा करके उसका जीना हराम करो 

पर कोई बात नहीं , दुनिया का चलन यही है 

जो आज नया है कल पुराना होगा वही है 

नये का स्वागत करना तो बिल्कुल ठीक है 

पर, पुराने को कबाड़ समझना , ये कहां की रीत है ? 



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